Parle-g girl
दोस्तों आपको जानकर यह हैरानी होगी की दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाले Parle-G Biscuits ने आज तक अपने प्रोडक्ट की कीमत नहीं बढ़ाई हैै। क्योंकि एक वक्त में पारले जी ने 50 पैसे प्रोडक्ट का बढ़ाया था तो सेल बुरी तरह से गिर गई और लाखों लोगों ने प्रोटेस्ट करना शुरू कर दियाा, जैसे मानो पेट्रोल डीजल का दाम बढ़ गया हो, 2013 में इस कंपनी का टर्नओवर 5000 करोड़ था और 2017-18 में इसका टर्नओवर 8,447 करोड़ था तो जब कीमत भी नहीं बढ़ रही हैै, और कंपनी भी ऊपर उठते जा रही है, तो ऐसी कौन सी रणनीति है जिसकी वजह से कंपनी इतनी ऊंचाई पर काम कर रही।
कम लाभ मार्जिन = पार्ले-जी ने यह तय कर लिया क्योंकि पारले जी इनका ड्राइवर प्रोडक्ट है। ड्राइवर प्रोडक्ट का अर्थ (इस प्रोडक्ट की वजह से हम देश के कोने-कोने में पहुंचते हैं) पार्ले जी ने इस प्रोडक्ट को सस्ते दामों में भारत के कोने कोने तक पहुंचाया ताकि low-cost की वजह से लोगों के दिमाग में Parle-G का नाम बना रहे और पहली चीज Parle-G biscuits ने यह स्वीकार कर लिया था। कि हम इस प्रोडक्ट को ड्राइवर प्रोडक्ट रखेंगे लेकिन फिर पैसा कहां से कमाएंगे, तो दोस्तों आगे आप यह जानकर हैरान होगें की krack-jack, Monac, Hide & Seek. यह सब प्रोडक्ट Parle-G के ही हैं। और जो लो प्रॉफिट Parle-G से होता है, उस लो प्रॉफिट की भरपाई बाकी ब्रांड से कर ली जाती है।
जब मार्केट में लो मटेरियल इतना महंगा हो गया है, तो क्या उस मटेरियल की भरपाई पार्ले जी अपने जेब से करेगा? नहीं। पहले पार्ले जी 100g, फिर 80gm, 75gm, 70gm, और यदि आज की हम बात करें तो Parle-G का वजन घटकर 65gm(इसी में 10% extra भी शामिल है) हो गया है, लेकिन कंपनी ने आज तक दाम नहीं बढ़ाया। क्योंकि इन्हें पता है, की रेट मत बढ़ाओ क्योंकि लोगों के दिमाग में रेट रजिस्टर्ड है तो क्या आप भी अपने बिजनेस में ऐसी रणनीति अपनाते हो? यदि हां तो नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।
व्यापारिक बुद्धि यह कहती हैं, कि लो मटेरियल खरीद में जो पैसा आपने बचा लिया। वह आपका नेट प्रॉफिट है। पार्ले जी अपनी मटेरियल की खरीद इतने सीधे तरीके से करता है कि आज भी पार्ले जी सिर्फ ₹5 के प्रोडक्ट से अपना प्रॉफिट मार्जिन निकाल लेता है।
कहा जाता है की पार्ले जी की जो प्रोडक्शन मशीन इतनी आधुनिक तकनीकी से विकसित हैं। कि जब उनसे 15 टन बिस्किट का उत्पादन होता है तब जाकर कोई 1% मेटेरियल प्रोडेक्ट वेस्ट होता है।
इन्होंने सोचा कि जब जनता पहले से ही रेट को लेकर इतनी सेंसिटिव है। तो बहुत सारे कागजों द्वारा तामझाम करने की जरूरत नहीं। उन्होंने शुरुआत से ही इस्तेमाल होने वाले वैक्स पेपर हटाए। और सिंपल प्लास्टिक की पैकेजिंग कर दी यहां तक कि इन्होंने पार्ले बिस्किट पर दिखने वाली लड़की parle-G girl की फोटो को आज तक नहीं हटाया। क्योंकि इन्हें पता है, की जनता को सिर्फ लो प्राइस प्रोडक्ट चाहिए उनकाे दूसरी चीजों से कोई लेना देना नहीं है।
इन्होंने क्या बुद्धिमानी लगाई इन्होंने अपनी फैक्ट्री लगाए मुंबई में, हरियाणा में, राजस्थान में, कर्नाटका में जहां-जहां पर डिस्ट्रीब्यूशन का एक बड़ा हिस्सा कवर हो सकता है वहां पर इन्होंने अपनी फैक्ट्री लगाई जिसके कारण ग्राहकों को जल्दी से प्रोडक्ट मिल जाए और दूसरा कोई इधर-उधर प्रोडक्ट को लाने ले जाने की परेशानी ना रहे
लोगों की पसंद का प्रोडेक्ट बनाओ (Make a product of people’s choice)=
क्योंकि इन्हें पता है, कि भारत के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग लोग निवास करते हैं किसी परिवार में सिर्फ 2 मेंबर है तो किसी परिवार में 50 से 100 मेंबर इस कारण उन्होंने अपने प्रोडेक्ट ₹2 से लेकर ₹50 तक के अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट बनाएं, छोटे पैकेट से लेकर बड़े से बड़ा पैकेट बनाया, ताकि ग्राहक वापस ना जा सके और जैसा प्रोडेक्ट उसे चाहिए वैसा प्रोडक्ट उसे मिल जाए,
इससे पहले मैं आपको आगे कुछ और बताऊं मैं आपको Parle-G biscuits के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु और पारले जी के इतिहास में लेकर चलता हूं (History of Parle-G!)
श्री मोहनलाल जी दयाल 1889-80 में सूरत से मुंबई आए,1929 में उन्होंने अपने परिवार के 12 सदस्यों के साथ मिलकर एक फैक्ट्री लगाई,कहते हैं, कि मोहनलाल जी दयाल फैक्ट्री लगाने में इतने व्यस्त हो गए, कि यह प्रोडक्ट का नाम रखना ही भूल गए, तो मुंबई के पार्ले में इनकी फैक्ट्री थी, जिसे हम आज विलेपार्ले के नाम से जानते हैं, तो मोहन लाल जी दयाल ने एक फैसला लिया और इस प्रोडक्ट का नाम भी पार्ले रख दिया और आज आपको पता है कि गांव के किसी भी व्यक्ति को अगर कोई भी बिस्किट खरीदना हो तो उसके मुंह से यही निकलता है, कि भैया वह पार्ले जी दे दो इसकाे कोई मतलब नहीं है,कि यह कौन सा बिस्कुट है उसके लिए हर बिस्किट पार्ले जी है
इन्होंने पार्ले जी को ड्राइवर प्रोडेक्ट मानकर ऐसे प्रोडेक्ट मार्केट में उतार दिए हैं जो युवा वर्ग को भा सकें उन्हें पसंद आ सके और जो यह बता सके, कि कंपनी कुछ नया कर रही है इन्होंने krack-jack, Monaco, Hide & Seek, 20-20 ऐसे अनेक और ब्रांड है जो शायद आपको पता भी नहीं है और वह पार्ले जी के ही ब्रांड है
दोस्तों एक प्रश्न यह उठता है (1)अगर पूरी बिस्किट इंडस्ट्री रिस्क में आ गई तो?
(2)अगर लोगों ने बिस्किट खाना कम कर दिया हो तो?
(3)अगर बिस्किट का कोई और विकल्प पैदा हो गया हो तो
लेकिन हमारे से पहले यह बात Parle-G भलीभांति जानते थे तो इन्होंने चाय के पूर्व बाजार पर कब्जा करने के लिए रस्क को लांच किया जिसका नाम था( पार्ले रस्क) अब उसमें भी यह रिस्क हुआ कि कहीं लोग चाय कॉफी पीना बंद कर दे, या मार्केट में कोई दूसरा प्रोडेक्ट आ जाए, तो इन्होंने बिस्किट पर अपनी डिपेंडेंसी छोडी,और पारले ने चीनी चॉकलेट की दुनिया में अपना कदम रखा और देखते ही देखते पार्ले ने mango-bite, melody जैसे बेहतरीन सुपर प्रोडक्ट मार्केट में उतारेे
इन्होंने फिर से मार्केट में अपने एक नया प्रोडक्ट मार्केट में उतारा, जिसका नाम है fresh harvest pulses pulses का मतलब है, दाल मूंग दाल और कई प्रकार की अनेक दालें)और देखते ही देखते हैं दोस्तों Parle-G इसमें भी शिखर पर पहुंच गया अब आप सोचिए कि देखते ही देखते पारले जी का ब्रांड कितना बड़ा हो गया
तो यह पार्ले जी की स्टोरी हमें बिजनेस करने के क्या तरीके सिखाती है आइए जानते हैं प्रोडक्ट की प्राइस इन को कंट्रोल में रखकर कैसे टर्नओवर पर व्यापार किया जा सकता है
कम टर्नओवर पर व्यापार करते-करते कैसे उसी के बीच में से थोड़े हाई मार्जिन प्रोडक्ट को सिरका के उससे अपना मुनाफा निकाला जा सकता है
ऐसी और कई केस स्टडी जो हमें बिजनेस करने के अनेकों प्रकार के तरीके सिखाती है जिनकी कई रणनीतियों को हम ठीक कर अपने बिजनेस को बढ़ा सकते हैं उसे नेक्स्ट लेवल पर लेकर जा सकते हैं जानने के लिए बने रहिए हमारी साइट पर क्योंकि हम आपकी नॉलेज में रोज इजाफा करते हैं